‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच चुनाव आयोग आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा

नई दिल्ली 
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने घोषणा की है कि वह आज दोपहर 3 बजे नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा। यह जानकारी आयोग के डायरेक्टर जनरल (मीडिया) द्वारा दी गई है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी महत्वपूर्ण घोषणाएं और अपडेट साझा कर सकते हैं, जो आगामी चुनावों और मतदाता सूची संशोधन से संबंधित हो सकते हैं।

इसके अलावा, 'वोट चोरी' के गंभीर आरोपों से घिरा भारत निर्वाचन आयोग अब इन आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकता है। दरअसल यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हो रही है, जब विपक्षी दलों, खास तौर पर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी ने मतदाता सूची में कथित धांधली और 'वोट चोरी' के आरोप लगाकर आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।

'वोट चोरी' के आरोपों का सिलसिला
पिछले कुछ महीनों से, विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों के बाद, विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में व्यापक पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए दावा किया था कि लगभग 1,00,250 वोटों की चोरी हुई। उन्होंने मतदाता सूची में डुप्लीकेट वोटर, फर्जी पते, और एक ही पते पर सैकड़ों वोटरों के नाम होने जैसे गंभीर आरोप लगाए। राहुल ने यह भी कहा कि अगर यह धांधली न हुई होती, तो कांग्रेस कर्नाटक में 16 लोकसभा सीटें जीत सकती थी, लेकिन उसे केवल 9 सीटें मिलीं।

इसके अलावा, राहुल गांधी ने महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं का दावा किया, जिसमें पांच महीनों में असामान्य रूप से लाखों वोटरों के नाम जोड़े जाने की बात कही गई। उन्होंने निर्वाचन आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और मांग की कि आयोग डिजिटल और मशीन-रीडेबल मतदाता सूची सार्वजनिक करे।

हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस के एजेंडे के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव आयोग कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए जा रहे 'वोट चोरी' के आरोपों पर जवाब दे सकता है।

निर्वाचन आयोग का जवाब
कांग्रेस नेता के आरोपों के जवाब में, निर्वाचन आयोग ने पहले ही कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है। 11 अगस्त को, आयोग ने राहुल गांधी और विपक्षी दलों के दावों को "तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक" करार देते हुए खारिज किया था। आयोग ने सोशल मीडिया पर एक फैक्ट-चेक पोस्ट के जरिए कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है और उसने पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया है। आयोग ने कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के हवाले से दावा किया कि राहुल गांधी द्वारा बताए गए कुछ वोटरों (जैसे आदित्य श्रीवास्तव और विशाल सिंह) के नाम केवल कर्नाटक की मतदाता सूची में पाए गए, न कि उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों में, जैसा कि आरोप लगाया गया था।

हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी 7 अगस्त को एक पत्र जारी कर कहा था कि मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम 1960 के तहत पारदर्शी तरीके से तैयार की गई थी, और कांग्रेस के साथ मसौदा और अंतिम मतदाता सूचियां साझा की गई थीं।
 
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि वह बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करे और साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर कराने के 24 जून के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। इसने कहा कि 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में थे, लेकिन मसौदा सूची से हटा दिए गए थे। मसौदा सूची को एक अगस्त को प्रकाशित किया गया था।

जिन लोगों की मृत्यु हो गई है, जो पलायन कर गये हैं या अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चले गए हैं, उनके नामों की सूची पंचायत स्तर के कार्यालय और जिला स्तर के निर्वाचन अधिकारियों के कार्यालय में कारणों समेत प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया। पीठ ने टेलीविजन समाचार चैनलों और रेडियो के अलावा स्थानीय भाषाओं एवं अंग्रेजी दैनिकों समेत समाचार पत्रों के माध्यम से व्यापक प्रचार करने पर जोर दिया, ताकि लोगों को उन स्थानों के बारे में जानकारी दी जा सके जहां सूची उपलब्ध होगी।

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