बिना कार के भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं सीपी राधाकृष्णन, जानिए पूरी डिटेल

नई दिल्ली

एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को बीजेपी नीत एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है। बता दें कि सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे शुरू से ही जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे। कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। पेशे से व्यवसायी राधाकृष्णन करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। आइये जानते हैं कि सीपी राधाकृष्णन कितने करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं।

करोड़ों के मालिक लेकिन नहीं है कार

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे के अनुसार, सीपी राधाकृष्णन की कुल संपत्ति लगभग 67,11,40,166 रुपये है। इसमें 7,31,07,436 रुपये की चल संपत्ति ( नकदी, बैंक जमा, बीमा पॉलिसी, बॉन्ड, शेयर, और आभूषण) शामिल है। वहीं, उनकी अचल संपत्ति में 44,43,25,040 रुपये की कृषि भूमि, 7,23,73,690 रुपये की गैर-कृषि भूमि, 6,63,34,000 रुपये की व्यावसायिक इमारत है। इसके अलावा 1,50,00,000 रुपये का आवासीय मकान भी है। वहीं, राधाकृष्णन पर कुल कर्ज यानी देनदारी 2,36,86,000 रुपये है। राधाकृष्ण के पास गाड़ी नहीं है। एक बार फिर आपको बता दें कि यह आंकड़ा 2019 के चुनावी हलफनामे के अनुसार है। अभी सीपी राधाकृष्णन के पास कितनी संपत्ति है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।

लंबा रहा है सियासी करियर

गौरतलब है कि सीपी राधाकृष्णन को 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इससे पहले उन्होंने झारखंड का राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इसके अलावा के तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल चुके हैं। इससे पहले वे 2004 से 2007 तक बीजेपी तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। 2020 से 2022 तक बीजेपी केरल के अखिल भारतीय प्रभारी भी थे। बता दें कि राधाकृष्णन को 18 फरवरी 2023 को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था।

संघ से करियर की शुरुआत

20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु में जन्मे सीपी राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में की। बाद में भारतीय जनसंघ की राज्यकार्यकारी समिति के सदस्य बने। 1996 में बीजेपी तमिलनाडु के सचिव नियुक्त हुए। 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य चुने गए। 2004 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर भाषण दिया और ताइवान की पहली संसदीय यात्रा में भी हिस्सा लिया।

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