भाजपा का दावा: नागरिकता से पहले ही सोनिया गांधी बनीं वोटर, SIR विवाद पर मचा बवाल

नई दिल्ली
बिहार में जारी मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर जहां संसद से लेकर सड़क और सुप्रीम कोर्ट तक संग्राम मचा हुआ है और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाकर हमलावर बने हुए हैं, वहीं भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर पलटवार किया है। भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने आरोप लगाते हुए दावा किया है कि SIR पर हल्ला करने वाले राहुल गांधी की मां और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी भारत की नागरिक बनने से पहले ही यहां की वोटर बन गईं थीं। उन्होंने कहा कि भारत की नागरिकता लेने से पहले ही सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया गया था।
सोशल मीडिया एक्स पर लिखे एक पोस्ट में अमित मालवीय ने दावा किया, “सोनिया गांधी का नाम भारत की मतदाता सूची में जोड़े जाने के चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा हुआ है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्ष में हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे है।" मालवीय ने आगे लिखा, "उनका नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में जोड़ा गया। यह उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही हुआ था। उस समय उनके पास इतालवी नागरिकता थी।
1980 में जोड़ा गया था पहली बार नाम
उस समय सोनिया गांधी और उनका परिवार देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड पर रहता था। इससे पहले तक, उस पते पर पंजीकृत मतदाता के रूप में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी ही थे। 1980 में, नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर संशोधन किया गया। इस संशोधन के दौरान, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र संख्या 145 की मतदाता सूची में क्रम संख्या 388 पर जोड़ा गया था।"
वोटर लिस्ट में नाम शामिल होना, कानून का उल्लंघन: मालवीय
मालवीय ने आरोप लगाया, "मतदाता सूची में यह एंट्री उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी, जिसके तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।" मालवीय ने दावा किया, “1982 में भारी विरोध के बाद, उनका नाम सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से वह नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया गया। लेकिन लिस्ट में उनके नाम की फिर से वापसी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए।”
सोनिया को कब मिली थी नागरिकता?
मालवीय ने मामले को और स्पष्ट करते हुए लिखा है, “उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 पर सीलिरयल नंबर 236 पर दर्ज था मोतदाता के रूप में और पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी, जबकि सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता ही 30 अप्रैल, 1983 को मिली थी।”
वोटर लिस्ट में दो बार जुड़ा नाम
उन्होंने दावा किया और लिखा, "दूसरे शब्दों में कहें तो, सोनिया गांधी का नाम बुनियादी नागरिकता की ज़रूरत पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में एक इतालवी नागरिक के रूप में, और फिर 1983 में, कानूनी तौर पर भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले। हम यह नहीं पूछ रहे कि राजीव गांधी से शादी करने के 15 साल बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में क्यों देरी हुई? अगर यह जबरदस्त चुनावी कदाचार नहीं है, तो और क्या है?"
SIR पर राहुल का हल्ला बोल जारी
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते चुनाव आयोग द्वारा भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा था कि SIR के जरिए "वोट चोरी" की जा रही है। उन्होंने कथित वोट चोरी के खिलाफ एक अभियान भी शुरू किया है। उन्होंने पिछले हफ्ते वोट चोरी के अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए कई उदाहरण दिए कि कैसे वोट चुराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इसके लिए पांच तरीके अपनाए गए हैं- डुप्लिकेट मतदाता बनाए गए हैं, फर्जी और अमान्य पते वाले मतदाता बनाए गए हैं, थोक मतदाता या एक ही पते पर थोक में मतदाता बनाए गए हैं, अमान्य फोटो वाले मतदाता बनाए गए हैं और नए मतदाताओं के फॉर्म 6 का दुरुपयोग किया गया है।
कांग्रेस नेता ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग पर ‘‘एक व्यक्ति, एक वोट’’ के सिद्धांत को लागू करने का अपना कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया और मतदाता सूची में अनियमितताओं के दावों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अभी पिक्चर बाकी है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह संस्थागत चोरी है और एसआईआर के कारण बड़ी संख्या में नागरिक, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों जैसे कमजोर समूह, मताधिकार से वंचित हो जाएंगे, जिन्हें आवश्यक सख्त दस्तावेज प्रस्तुत करने में कठिनाई हो सकती है।