2019 में देश के हर पांचवें बुजुर्ग को था मधुमेह: शोध रिपोर्ट

नई दिल्ली
भारत में 2019 में 45 वर्ष और उससे अधिक आयु का लगभग हर पांचवां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित था और हर पांच में से दो व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य संबंधी इस स्थिति के बारे में संभवतः पता ही नहीं था। भारत के वयस्कों पर किए गए एक अध्ययन के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। 'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि जैसे-जैसे देश की आबादी तेजी से वृद्ध होती जाएगी, मध्यम आयु वर्ग और वृद्धों में मधुमेह के मामले बढ़ेंगे। यह शोध करने वालों में मुंबई और अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के शोधकर्ता भी शामिल थे।

उन्होंने पाया कि मधुमेह को लेकर जागरुक 46 प्रतिशत लोगों ने रक्त शर्करा के स्तर पर नियंत्रण पा लिया और लगभग 60 प्रतिशत लोग उसी वर्ष अपने रक्तचाप को नियंत्रित करने में सक्षम रहे। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि छह प्रतिशत लोगों ने हृदय संबंधी रोग के जोखिम को कम करने के लिए 'लिपिड' नियंत्रित करने वाली दवा ली।

'लान्गिटूडनल एजिंग स्टडी इन इंडिया' शीर्षक वाले इस अध्ययन के तहत 2017 से 2019 के दौरान 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 60,000 वयस्कों का सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि चयापचय संबंधी समस्या (लगभग 20 प्रतिशत) पुरुषों और महिलाओं में समान थी और शहरी क्षेत्रों में यह ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दोगुनी थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके अलावा, जो राज्य आर्थिक रूप से अधिक विकसित थे, उनमें मधुमेह के मामले अधिक रहे।

उन्होंने कहा, ''हमारा अध्ययन भारत में मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध वयस्कों में 'ग्लाइकेटिड हीमोग्लोबिन' सांद्रता का उपयोग करके मधुमेह को नियंत्रित करने, इसका उपचार करने, इसकी व्यापकता का पता लगाने, इसे लेकर जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अद्यतन आंकड़े मुहैया कराता है।''

टीम ने पाया, ''45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग हर पांच में से एक व्यक्ति को मधुमेह था।' परिणाम बताते हैं कि ''आने वाले वर्षों में मधुमेह से पीड़ित मध्य आयु वर्ग और वृद्ध वयस्कों की कुल संख्या बढ़ेगी, भले ही आयु-विशिष्ट मधुमेह के प्रसार में वृद्धि को रोका जा सके।''

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button