उपराष्ट्रपति चुनाव: खड़गे ने किया विपक्ष के उम्मीदवार का ऐलान, सुदर्शन बनाम राधाकृष्णन मुकाबला तय

नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ये जानकारी दी. बी सुदर्शन रेड्डी भारत के सबसे सम्मानित कानूनविदों में शामिल हैं. वह सुप्रीम कोर्ट के जज भी रहे हैं , इसके अलावा गुवाहाटी और आंध्र उच्च न्यायालय के भी जज रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने बताया कि गठबंधन ने सर्वसम्मति से बी सुदर्शन रेड्डी का नाम तय किया है. उनका मुकाबला एनडीए गठबंधन के सीपी राधाकृष्णन से होगा. बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के प्रताप रेड्डी के अधीन सिविल और संवैधानिक मामलों पर प्रैक्टिस शुरू की थी. 8 अगस्त 1988 को रेड्डी को हाई कोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त किया गया और वह केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील बने.
इंडिया गठबंधन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर सुदर्शन रेड्डी के नाम का ऐलान किया. कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि सभी पार्टियों ने सहमति से उनके नाम को फाइनल किया है. टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने बताया कि आम आदमी पार्टी भी सुदर्शन रेड्डी के नाम से सहमत है.
डीएमके, टीएमसी… सभी की मांग पूरी हुई
विपक्ष का कहना है, "वो (एनडीए) संघ से जुड़े व्यक्ति को लाए हैं, हम सुप्रीम कोर्ट से आए व्यक्ति को सामने ला रहे हैं." यह नाम विपक्ष की तमाम शर्तों पर खरा उतरता है – दक्षिण भारत से उम्मीदवार जिसे डीएमके चाहती थी, और राजनीति से बाहर का चेहरा जिसकी मांग टीएमसी ने उठाई थी. टीएमसी का कहना था कि ऐसे शख्स को उम्मीदवार बनाया जाए जो नॉन-पॉलिटिकल हों. वहीं डीएमके चीफ और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने तमिलनाडु से किसी चेहरे को उम्मीदवार बनाने की मांग की थी.
INDIA गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी कौन हैं?
बी सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को हुआ था. वे भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और गोवा के पहले लोकायुक्त रह चुके हैं. सुदर्शन रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव में एक कृषि परिवार में हुआ. शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से 1971 में लॉ पास किया.
अपने करियर की शुरुआत रेड्डी ने सिविल और संवैधानिक मामलों की प्रैक्टिस से की और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट के. प्रताप रेड्डी के साथ काम किया. इसके बाद 8 अगस्त 1988 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में गवर्नमेंट प्लीडर नियुक्त किया गया और वे केंद्र सरकार के एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल बने.
गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे सुदर्शन रेड्डी
1993 में वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए और उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लीगल एडवाइजर भी रहे. न्यायिक करियर में आगे बढ़ते हुए रेड्डी 2 मई 1993 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त किए गए. इसके बाद 5 दिसंबर 2005 को वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने.
सुदर्शन रेड्डी को 12 जनवरी 2007 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया और वे 8 जुलाई 2011 को रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद मार्च 2013 में उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में कार्यभार संभाला, हालांकि अक्टूबर 2013 में उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया था.
जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी का करियर
- जस्टिस रेड्डी को 12 जनवरी 2007 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था.
- वह 8 जुलाई 2011 को इस पद से सेवानिवृत्त हुए.
- बी सुदर्शन रेड्डी को 5 दिसंबर 2005 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
- रेड्डी का जन्म 1946 में भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के तत्कालीन इब्राहिमपटनम तालुका के अकुला मायलाराम गांव में एक कृषक परिवार में हुआ था.
- बी सुदर्शन रेड्डी ने हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की.
- बी सुदर्शन रेड्डी ने मार्च 2013 में पहले गोवा लोकायुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया और अक्टूबर 2013 में निजी कारणों से पद से इस्तीफा दे दिया.
8 जुलाई 1946 को जन्मे बी सुदर्शन रेड्डी गोवा के पहले लोकायुक्त रह चुके हैं.
सुदर्शन रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव में हुआ. बी सुदर्शन रेड्डी ने शुरुआती पढ़ाई के बाद हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से 1971 में लॉ में ग्रेजुएशन की थी. 1993 में बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए और उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लीगल एडवाइजर भी रहे हैं.
बी सुदर्शन रेड्डी को 12 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था और वे 8 जुलाई 2011 को रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद मार्च 2013 में उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में कार्यभार संभाला. हालांकि अक्टूबर 2013 में उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया था.