विश्व अंगदान दिवस 2025: मृत्यु के बाद भी किसी की धड़कन बन सकते हैं आप

आज, 13 अगस्त को हम सब विश्व अंगदान दिवस मना रहे हैं, और यह दिन हमें एक ऐसे दान की याद दिलाता है जो किसी भी अन्य दान से बड़ा है, यह है जीवन का दान. हमारी मृत्यु के बाद जब शरीर मिट्टी में मिल जाता है, तब भी हमारे अंग किसी और के शरीर में धड़ककर उसे एक नई जिंदगी दे सकते हैं. एक व्यक्ति के अंगों से कई लोगों को जीवन मिल सकता है. उदाहरण के लिए, एक मृत दाता के अंगदान से हृदय, फेफड़े, गुर्दे, यकृत, अग्न्याशय और आँखें (कॉर्निया) दान की जा सकती हैं. इसका मतलब है कि एक व्यक्ति के अंग आठ लोगों को नया जीवन दे सकते हैं, और 75 से अधिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं.

क्या कहते हैं भारत में इसके आंकड़े
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के आंकड़ों के अनुसार, 2013 में जहाँ सालाना लगभग 5,000 प्रत्यारोपण होते थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 18,378 हो गई. यह दिखाता है कि पिछले एक दशक में भारत में अंग प्रत्यारोपण में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है.

दुनिया में हमारा स्थान तीसरा
सरकार ने अंगदान के लिए आयु सीमा को 65 वर्ष से हटा दिया है और एक डिजिटल रजिस्ट्री पोर्टल शुरू किया है, जिससे प्रक्रिया आसान हुई है. अंगदान महोत्सव जैसे अभियान और सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने से लोगों में इसके प्रति सकारात्मक सोच बनी है. सरकार ने अंगदान के लिए पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी शुरू की है, जिससे जरूरतमंद को किसी भी राज्य में अंग मिल सकता है, बशर्ते वह उपलब्ध हो. इन प्रयासों के कारण, भारत अंग प्रत्यारोपण में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button